तलाक की परिभाषा
हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 13 के अनुसार, विवाह को समाप्त करना ही तलाक कहलाता है। सामान्य शब्दों में, विवाह को कानून के दृष्टिकोण से समाप्त करना तलाक माना गया है।
तलाक लेने के कारण:
तलाक निम्नलिखित परिस्थितियों में लिया जा सकता है:
- यदि पति या पत्नी की सात साल तक कोई जानकारी न मिले।
- यदि पति या पत्नी का किसी अन्य व्यक्ति के साथ यौन संबंध हो।
- अमानवीय व्यवहार, जिसमें क्रूरता या अन्याय शामिल हो।
- यदि एक वर्ष या अधिक समय से पति-पत्नी आपसी सहमति से अलग रह रहे हों।
- यदि पति या पत्नी में से कोई एक धर्म बदल ले।
- यदि कोई मानसिक रूप से असमर्थ हो जाए और विवाह को जारी रखने में असमर्थ हो।
- कोढ़ या एड्स जैसी बीमारी हो।
- किसी एक ने सन्यास ग्रहण कर लिया हो।
- विवाह से पहले या बाद में बहुविवाह किया हो।
- बलात्कार, गुदा मैथुन या पशुगमन की स्थिति में भी तलाक लिया जा सकता है।
भारत में तलाक के प्रकार
भारतीय संविधान के अनुसार, तलाक दो प्रकार का हो सकता है:
1. आपसी सहमति से तलाक प्रक्रिया
यदि पति-पत्नी एक वर्ष या उससे अधिक समय से आपसी सहमति से अलग रह रहे हों, और दोनों अपने विवाह को शांतिपूर्वक समाप्त करना चाहते हों, तो वे पारिवारिक न्यायालय में तलाक की अर्जी दाखिल कर सकते हैं।
इस प्रक्रिया में कोर्ट दोनों पक्षों को छह महीने का समय देता है ताकि वे अपने रिश्ते को सुधार सकें। यदि इस दौरान रिश्तों में कोई सुधार नहीं होता है, तो कोर्ट तलाक को मंजूरी दे देता है। यदि रिश्तों में सुधार हो जाता है, तो 18 महीने के भीतर तलाक की अर्जी वापस ली जा सकती है।
2. कंटेस्टेड डाइवोर्स प्रक्रिया
इस प्रक्रिया में, एक पक्ष तलाक चाहता है लेकिन दूसरा पक्ष तलाक नहीं देना चाहता। इस स्थिति में, याचिकाकर्ता को कोर्ट में यह साबित करना होता है कि उसे दूसरे पक्ष द्वारा प्रताड़ित किया जा रहा है। यदि दूसरा पक्ष कोर्ट में उपस्थित न हो, तो कोर्ट उसे नोटिस भेजकर पेश होने का निर्देश देता है।
अपने केस को साबित और जीतने के उपाय
- याचिकाकर्ता को न्यायालय में यह साबित करना होता है कि दूसरा पक्ष उसके साथ अमानवीय व्यवहार कर रहा है। गवाही के लिए रिश्तेदारों या पड़ोसियों का सहारा लिया जा सकता है।
- यदि आपको लगे कि कोई आपके खिलाफ गवाही देने की कोशिश कर रहा है, तो आप उसे फार्मर पार्टी बना सकते हैं, ताकि वह आपके केस को कमजोर न कर सके।
- अपने साथ हुई हिंसा या झगड़े की तिथियां और सबूत जैसे ऑडियो या वीडियो रिकॉर्डिंग अदालत में पेश करें।
- सबसे महत्वपूर्ण है एक योग्य वकील की सहायता लेना। अपने वकील को सभी आवश्यक जानकारी और सबूत दें ताकि वे आपके केस को मजबूत बना सकें।
- यदि तलाक का कारण शारीरिक या मानसिक विकार है, तो संबंधित मेडिकल रिपोर्ट कोर्ट में पेश करें। इससे आपके केस को मजबूती मिलेगी।